शुद्ध: purdah sheer filet net amount of risk net annual
शक्ति: Sakti muscle vigor Energy potence zip stamina
उदाहरण वाक्य
1.
हालां कि नरेश मेहता कहते थे कि ‘ कविता की कोई संज्ञा नहीं है, क्यों कि वह तो शुद्ध शक्ति है।
2.
साधारण बैक्टेरिया तो ३ अरब वर्षों से इस स्टेज पर आ चुका था, जो प्राचीन हिन्दू के अनुसार उत्पत्ति कर मानव रूप पाया है (अर्थात शुद्ध शक्ति से आरम्भ कर ८४ लाख रूप धर मानव का इस धरती पर पदार्पण हुवा...
3.
साधारण बैक्टेरिया तो ३ अरब वर्षों से इस स्टेज पर आ चुका था, जो प्राचीन हिन्दू के अनुसार उत्पत्ति कर मानव रूप पाया है (अर्थात शुद्ध शक्ति से आरम्भ कर ८ ४ लाख रूप धर मानव का इस धरती पर पदार्पण हुवा...
4.
जो मुझे समझ आया, योगेश्वर विष्णु / शिव, परम ज्ञानी निराकार जीव, अर्थात शुद्ध शक्ति रूप को (८ x ८ =) ६ ४ योगिनियों से बना हुआ जाना प्राचीन सिद्धों ने जो शून्य विचार तक तपस्या द्वारा पहुँच पाए...
5.
असली विकास तो सर्व प्रथम शुद्ध शक्ति से साकार संसार का बनाया जाना है, और उस को अरबों साल से बनाये रखना-अनंत काल तक-जिससे ' आप ' और ' हम ' भी अधकतर भय के साथ साथ थोडा बहुत आनंद की अनुभूति कर तनिक लाभ उठा सकें इस निरंतर परिवर्तन शील ' मायावी जगत ' में-कुछ पल के लिए ही सही...
6.
और हिन्दू मान्यतानुसार शुद्ध शक्ति से आरम्भ कर उत्पति के पश्चात, ८ ४ लाख प्राणी रूपों से गुजरने के बाद, मानव रूप मिलता है, परम शक्ति का प्रतिरूप अथवा प्रतिबिम्ब! किन्तु, हर कोई खिसिया कर दूसरे में किसी ' निम्न श्रेणी ' के प्राणी की झलक ही देखता है, परम शक्ति का नहीं, जो कुछ बिरले ही देख पाते हैं जिनकी ' ई एस पी ' जगी होती है...
7.
असली विकास तो सर्व प्रथम शुद्ध शक्ति से साकार संसार का बनाया जाना है, और उस को अरबों साल से बनाये रखना-अनंत काल तक-जिससे 'आप' और 'हम' भी अधकतर भय के साथ साथ थोडा बहुत आनंद की अनुभूति कर तनिक लाभ उठा सकें इस निरंतर परिवर्तन शील 'मायावी जगत' में-कुछ पल के लिए ही सही... “सत्यम शिवम् सुन्दरम”, और “सत्यमेव जयते”, आदि अनंत शिव पर बिचारणीय कुछेक देसी कहावतें भी हैं...:)
8.
और हमारी गैलेक्सी की उत्पत्ति (शुद्ध शक्ति का कलियुग अथवा अन्धकारमय शून्य से आरम्भ कर), क्षीरसागर मंथन की कथा द्वारा सतयुग के अंत तक देवताओं का यानि हमारे सौर-मंडल के सदस्यों का भी चार चरणों में ' अमृत ' पाना, उन्ही में से एक सदस्य चन्द्रमा (जो पृथ्वी से ही उत्पन्न हुई और हिमालय पुत्री पार्वती कहलाई, यानि चतुर्भुज अनंत शिव / विष्णु का ही मोहिनी रूप) द्वारा ' सोमरस ' प्रदान कर:)